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अध्याय 2

 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

Q.1) वैद्युत विभव (Electric Potential) क्या है ?

ANS):

परिभाषा:   विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर एक इकाई धन आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया गया कार्य उस बिंदु का वैद्युत विभव कहलाता है।

यदि किसी बिंदु पर विद्युत विभव V है तो:

       V = W/q0​ 

जहाँ,

  • W = किया गया कार्य
  • q0​ = परीक्षण आवेश

मात्रक (Unit):

जूल / कूलाम्ब (J/C)=वोल्ट (Volt)

विमीय सूत्र (Dimensional Formula):

        [M L² T⁻³ A⁻¹]

अतः वैद्युत विभव एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है।

Q. 2 ) विभवांतर (Potential Difference) क्या है ?

परिभाषा:   विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश q को एक बिंदु A से दूसरे बिंदु B तक ले जाने में किया गया प्रति इकाई आवेश कार्य, बिंदु A और B के बीच का विभवांतर कहलाता है।


     +     Electric Field (E)     -

     |----------------------------|

     A                            B

     

     विभव (V_A)             विभव (V_B)


         q  →  कार्य 


विभवांतर = किया गया कार्य / आवेश

           VAB​=WAB​​/q

जहाँ,

  • WAB​ = आवेश q को A से B तक ले जाने में किया गया कार्य
  • q = परीक्षण आवेश

मात्रक (Unit):

 जूल / कूलाम्ब (J/C)=वोल्ट (Volt)

विमीय सूत्र (Dimensional Formula):

  [M L² T⁻³ A⁻¹]

Q.3) बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर विभव की गणना कीजिये ?

बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर विभव

सिद्धांत:

किसी बिंदु आवेश +q के कारण किसी दूरी r पर स्थित बिंदु P पर विभव की गणना उस कार्य से की जाती है जो एक परीक्षण आवेश q₀ को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाए। यह विभव केवल दूरी r पर निर्भर करता है, दिशा पर नहीं।

+q P(r) q₀ r

चित्र: बिंदु आवेश +q से r दूरी पर बिंदु P एवं परीक्षण आवेश q₀

माना बिंदु O पर एक बिंदु आवेश +q रखा है। उससे r दूरी पर बिंदु P स्थित है, जिस पर बिंदु आवेश के कारण विद्युत विभव की गणना करनी है। इसके लिए परीक्षण आवेश q₀ को अनंत से बिंदु P तक लाया गया है। यदि बिंदु O से X दूरी पर कोई परिक्षण आवेश q० स्तिथ हो तो +q आवेश के कारण q० पर लगने वाला बल

F = (1 / 4πε₀) * (q q₀ / x²) ……(1)

यदि परीक्षण आवेश को विद्युत बल के विरुद्ध dx विस्थापन कराया जाए तो –

कार्य = बल × विस्थापन

dW = F · dx
dW = -(1 / 4πε₀) * (q q₀ / x²) dx …… (2)
(ऋण चिन्ह बल की विपरीत दिशा को बताता है)

अब q₀ को ∞ से r तक लाने में किया गया कुल कार्य:

W = ∫∞r dW
W = - ∫∞r (1 / 4πε₀) · (q q₀ / x²) dx
W = -(q q₀ / 4πε₀) ∫∞r x⁻² dx
W = -(q q₀ / 4πε₀) [ -1/x ]∞r
W = (q q₀ / 4πε₀) [1/r - 0]
W = (q q₀) / (4πε₀ r)

विभव (V)

अब विभव परिभाषा से:

V = W / q₀
V = q / (4πε₀ r)

यदि माध्यम में परावैद्युतांक (k) हो:

V = q / (4πε₀ k r)
📘 इस प्रकार बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर विभव = q / (4πε₀ r)

Q.4)